लाखों खर्च कर सिर्फ मुकदमे लड़ रहे आयोग

प्रयागराज। शहर के तीन में दो भर्ती आयोग बेरोजगारों को नौकरी देने की जगह हर महीने लाखों रुपये खर्च कर बेरोजगारों के खिलाफ सिर्फ मुकदमे लड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा और सदस्य रजनी त्रिपाठी का कार्यकाल छह फरवरी को पूरा होने के बाद कामकाज लगभग बंद सा हो गया है। सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में विज्ञापन संख्या 51 के जरिए होने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों पर भर्ती फंस गई है।

आयोग अपने सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन भत्ते समेत अन्य कार्यों में हर महीने लगभग 20 लाख रुपये खर्च करता है। अब आयोग में शेष दो सदस्य प्रो. राजनारायण और प्रो. विनोद कुमार, सचिव सत्य प्रकाश व उप सचिव डॉ. शिवजी मालवीय समेत पूरा स्टाफ मुकदमेबाजी में बीजी है। वर्तमान में आयोग लगभग 250 मुकदमे लड़ रहा है। 

लगभग ऐसी ही स्थिति उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की भी है। चयन बोर्ड के सभी सदस्यों का कार्यकाल पिछले साल अप्रैल में पूर्ण होने के बाद से कोई खास काम नहीं हो रहा। चयन बोर्ड ने नवंबर में प्रधानाचार्य भर्ती 2013 का परिणाम घोषित किया, लेकिन वह भी मुकदमेबाजी में फंसा है।



जितनी भर्ती नहीं, उससे अधिक लड़ रहे मुकदमे

चयन बोर्ड वर्तमान में जितने पदों पर भर्ती नहीं कर पा रहा है, उससे अधिक मुकदमे लड़ रहा है। चयन बोर्ड ने सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) 2022 के कुल 4163 पदों पर भर्ती के लिए 16 जुलाई 2022 तक ऑनलाइन आवेदन लिए थे। हालांकि आवेदन के बाद से भर्ती में आगे नहीं बढ़ सके हैं। जबकि वर्तमान में यही चयन बोर्ड तकरीबन पांच हजार मुकदमे लड़ रहा है। इन मुकदमों की पैरवी के लिए हर महीने वकीलों को 15 से 20 लाख रुपये की मोटी फीस दी जाती है।

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