विद्यालय में की जाने वाली दैनिक प्रतिज्ञा- हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत में | School Ki Pratigya | Pratigya in Hindi School

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विद्यालय में की जाने वाली दैनिक प्रतिज्ञा

इस प्रतिज्ञा को मूलतः 1962 में लेखक प्पिदीमरी वेंकट सुब्बाराव द्वारा तेलुगू भाषा में लिखा गया था। इसका पहला सार्वजनिक वाचन 1963 में विशाखापट्टनम के एक विद्यालय में हुआ था। बाद में इसका अनुवाद, प्रसार भारत की अन्य भाषाओं किया गया।

"हिन्दी में प्रतिज्ञा"

भारत हमारा देश है । हम सब भारतवासी मेरे भाई-बहन हैं!

हम उन महान परम्पराओं पर गर्व करते है, जो इस देश की बहुमूल्य थाती है|

हम अपने माता-पिता एवं गुरुजनों का आदर करेंगे/करूँगी।

हम अपने देश और देशवासियों के प्रति सदा निष्ठावान रहने की प्रतिज्ञा करते/करती है।

उनकी सुख-समृद्धि में ही हमारा सुख निहित है।"

जय हिन्द!

 

"अंग्रेजी में प्रतिज्ञा"

India is my country.

All Indians are my brothers and sisters.

I love my country and am proud of it's rich and varied heritage.

I shall always strive to be a loyal and worthy citizen of it.

I shall show respect my parents, teachers and all elders and shall be obedient to them.

I shall show kindness to animals, to my country and my peoples.

I pledge my devotion in their happiness, and in their prosperity alone, lies my happiness.

Jai Hind!

 

 

"संस्कृत में प्रतिज्ञा"

"भारतं मम मातृभूमिः (मम देशास्ति) सर्वे भारतीयाः मे भ्रातरः । अहं मम देशे स्निह्यामि । अस्य समृद्धायां नानाविधायां च पूर्विकसम्पत्तौ अभिमानी च भवामि । तद्योग्यतां सम्पादयितुं सदा यतिष्ये च । अहं पितरौ गुरूंश्चादरिष्ये बहुमानयिष्ये च । विनयान्वित एवाहं सदा सर्वैः सह व्यवहरिष्ये मम राष्ट्राय राष्ट्रियेभ्यश्चाहं समर्पये स्वसेवाम् । राष्ट्रियाणां योगक्षेमैश्वर्येष्वेवाहम् आत्मनस्तोषं करिष्यामि।"



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